बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 राजनीति विज्ञान
प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
अथवा
1995 अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
गोलमेज सम्मेलन में हुए वाद विवादों के आधार पर ब्रिटिश सरकार ने श्वेत पत्र जारी किया, जिससे भारतीयों की भावी शासन प्रणाली के सम्बन्धित सुझावों का उल्लेख था। इस पत्र का संसद की संयुक्त कमेटी ने भली प्रकार निरीक्षण किया ओर फिर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे दिसम्बर सन् 1935 ई. में संसद में प्रस्तुत किया गया। यह रिपोर्ट पारित होकर भारत सरकार अधिनियम सन् 1935 ई. के नाम से विख्यात हुई। इस अधिनियम की विशेषताओं की व्याख्या निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है -
(1) प्रान्तीय स्वायत्त शासन - सन् 1919 ई. के अधिनियम के द्वारा प्रान्तों में दोहरी शासन प्रणाली की व्यवस्था की थी। इसके आधार पर प्रान्त केन्द्रीय सरकार की प्रशासनिक इकाई बन गए थे और प्रान्तों का स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त हो गया था। परन्तु सन् 1935 ई. के अधिनियम द्वारा दोहरी शासन प्रणाली का हटाकर प्रान्तों को स्वराज प्रदान किया गया आरक्षित तथा हस्तान्तरिक विभागों का अन्तर समाप्त कर दिया गया तथा मंत्रिमंडल का निर्माण बहुमत प्राप्त दल के नेता द्वारा किए जाने की व्यवस्था की गई। गवर्नरों को इस अधिनियम द्वारा विशेष जिम्मेदारियाँ सौंपी गई। उनको शान्ति व्यवस्था. करने, अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने, उच्च राज्य कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने, गवर्नर जनरल के आदेशों का पालन करने आदि की जिम्मेदारियाँ सौंपी गई।
(2) प्रान्तीय व्यवस्थापिकाओं का पुनर्गठन - मुम्बई, बंगाल, मद्रास, उत्तर प्रदेश, बिहार व असम में दो सदन की व्यवस्था की गई, जबकि शेष पाँच प्रान्तों में एक सदन ही दिया गया। दो सदन के अन्तर्गत उच्च सदन को विधानपरिषद और निम्न सदन को विधानसभा का नाम दिया गया निम्न सदन के सदस्यों की संख्या में वृद्धि कर दी गई। सदस्यों को चुनने के लिए विशेष चुनाव प्रणाली को यथानुरूप ही बना रहने दिया गया।
(3) केन्द्र में दोहरा शासन - इस अधिनियम द्वारा आंशिक उत्तरदायी शासन स्थापित करने की और केन्द्र में दोहरी शासन प्रणाली प्रारम्भ की गई। केन्द्रीय विषयों को दो भागों में विभाजित किया गया। आरक्षित और हस्तान्तरिक आरक्षित में प्रतिरक्षा चर्चा सम्बन्धी और कबायली शासन आदि से सम्बन्धित विषय थे। जिनका प्रबन्ध गर्वनर जनरल करता था। उसे पूर्ण स्वतन्त्रतापूर्वक बिना मंत्री वर्ग के परामर्श के ही आरक्षित विषयों का प्रबन्ध करने का अधिकार था। हस्तान्तरिक विषयों पर प्रबन्ध गर्वनर जनरल और मंत्री परिषद को सौंपा गया। गर्वनर जनरल बहुमत प्राप्त दल के नेता के परामर्श पर मंत्रिमण्डल बनाता था। संघ में सम्मिलित होने वाली देशी रियासतों तथा महत्त्वपूर्ण अल्पसंख्यक वर्गों के प्रतिनिधियों को संघीय कार्यपालिका में यथासम्भव स्थान देने को कहा गया।
(4) अखिल भारतीय संघ - इस अधिनियम द्वारा अखिल भारतीय संघ स्थापित किया गया। इसमें प्रान्त चीफ कमीश्नर के छः प्रान्त अपनी इच्छा से सम्मिलित होने वाले भारतीय नरेशों की रियासतें. थी। संघ में सम्मिलित प्रान्तों एवं रियासतों को आन्तरिक क्षेत्र में स्वतन्त्रता प्राप्त थी और इनके विवादों को निपटाने के लिए संघीय न्यायपालिका की व्यवस्था की गई थी संघीय शासन का अध्यक्ष गवर्नर जनरल बना तथा इस शासन के अन्तर्गत दो सदन वाली संघीय व्यवस्थापिका की स्थापना की गई।
(5) शक्तियों का विभाजन - समस्त विषयों की तीन सूचियाँ तैयार की गईं। संघ सूची के विषयों की संख्या 59 थीं और केवल संघीय व्यवस्थापिका को ही इनसे सम्बन्धित कानून बनाने का अधिकार प्राप्त था। प्रान्तीय सूची में स्थानीय महत्त्व के 54 विषय थे। इनके लिए प्रान्तीय व्यवस्थापिकाओं को ही कानून बनाने का अधिकार था। समवर्ती सूची में विषयों की संख्या 36 थी। इन विषयों पर संघीय तथा प्रान्तीय व्यवस्थापिकाएँ दोनों ही कानून बना सकती थीं। परन्तु विरोध उत्पन्न होने की स्थिति में संघीय व्यवस्थापिका द्वारा बनाए कानून को ही मान्यता दी जानी थी।
(6) संघीय न्यायालय - इस अधिनियम द्वारा दिल्ली में एक संघीय न्यायालय स्थापित करने की व्यवस्था की गई, जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और छः अन्य न्यायाधीश होते थे। इसका कार्य संविधान की व्याख्या, उच्च न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील गवर्नर जनरल का कानूनी सलाह तथा इकाइयों के आपसी विवादों का निपटारा करना था।-
(7) प्रशासनिक परिवर्तन - सिन्ध तथा उड़ीसा के दो नए प्रान्तों की व्यवस्था की गई तथा उत्तर पश्चिम सीमा प्रान्त को पूर्ण प्रान्त का दर्जा प्रदान किया गया। इस अधिनियम द्वारा भारत मन्त्री की परिषद् का अन्त कर दिया गया। इनके स्थान पर कम से कम तीन और अधिक से अधिक छः परामर्शदाता नियुक्त किए गए और उनके कार्यकाल की अवधि पाँच वर्ष रखी गई। कार्यकाल समाप्त होने पर उन्हें पुनः उस पद पर नियुक्त करने का अधिकार नहीं था। भारत मंत्री पर अपने परामर्शदाताओं से परामर्श लेने या उनके परामर्श को स्वीकार करने के सम्बन्ध में कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया था।
(8) साम्प्रदायिक चुनाव प्रणाली - मुसलमानों, सिक्खों, भारतीय, ईसाइयों, जमींदारों, पूँजीवादियों और स्त्रियों के लिए पृथक् चुनाव पद्धति की व्यवस्था की गई। ब्रिटिश राजनीतिज्ञों ने अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इस अधिनियम द्वारा मुसलमानों को बहुत-सी रियासतें दी जिसमें उनकी लालसा और प्रबल हुई।
(9) ब्रिटिश संसद की सर्वोच्चता - इस अधिनियम द्वारा ब्रिटिश संसद की सर्वोच्चता स्थापित- की गई। इसके द्वारा यह व्यवस्था की गई कि भारत की प्रान्तीय तथा केन्द्रीय व्यवस्थापिकाओं में से किसी में भी ऐसा कानून नहीं बनाया जा सकता है। जिसका ब्रिटिश संसद की प्रभुसत्ता से सम्बन्धित किसी मामले पर प्रभाव पड़े। संविधान के संशोधन आदि का अधिकार वास्तविक रूप में ब्रिटिश संसद के हाथ में ही रहा।
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- प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
- प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
- प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
- प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
- प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
- प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
- प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
- प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
- प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
- प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
- प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
- प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
- प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
- प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
- प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
- प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
- प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
- प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
- प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
- प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
- प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
- प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
- प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
- प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
- प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
- प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
- प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।